चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 5 मार्च से चंडीगढ़ में धरने की घोषणा की है। इसके लिए 4 मार्च को पंजाब के किसान चंडीगढ़ की ओर कूच करेंगे और अगले दिन से धरना शुरू होगा। यह विरोध प्रदर्शन एक हफ्ते तक चलेगा, जिसके बाद किसान आगे की रणनीति तय करेंगे। यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो धरने को आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। इस निर्णय की जानकारी किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।
बैठक में दो अहम मुद्दों को लेकर विरोध जताया गया। पहला, पंजाब सरकार द्वारा पारित जल शोध अधिनियम, जिसे किसान मोर्चा ने राज्य की संप्रभुता पर हमला बताया। उनका कहना है कि यह कानून पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केंद्र सरकार के अधीन करने की साजिश है, जिससे राज्य के अधिकार कमजोर होंगे। किसानों ने इस अधिनियम को तुरंत रद्द करने की मांग की। दूसरा अहम मुद्दा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लेकर था। SKM ने इसे राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह नीति विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर की नियुक्ति से लेकर पाठ्यक्रम निर्धारण तक सारी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथ में सौंपती है, जो राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करती है।
इस बैठक के दौरान किसान यूनियन बीकेयू टोटेवाल के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुख गिल को निलंबित कर दिया गया। उनके खिलाफ अमेरिका से डिपोर्ट हुए एक व्यक्ति की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। SKM ने स्पष्ट किया कि धरने के दौरान वे पंजाब सरकार से इन अहम मुद्दों पर ठोस कार्रवाई की मांग करेंगे और यदि संतोषजनक समाधान नहीं मिला, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
उधर, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 4 मार्च को चंडीगढ़ में बैठक बुलाई है, जो दोपहर 3:30 बजे होगी। इस बैठक में उन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनके खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 मार्च से धरना देने की घोषणा की है। किसानों की मांगों और सरकार के रुख को लेकर यह बैठक अहम मानी जा रही है।